दिल की आवाज़ है अब जुबाँ खोलिये|
वक़्त का मशवरा है चुप हो बैठिए ||
झूठ तो झूठ है ,सच न होगा कभी|
दोनों को एक तराजू में न तोलिये ||
कम न तासीर होगी कभी जहर की |
वक़्त का मशवरा है चुप हो बैठिए ||
झूठ तो झूठ है ,सच न होगा कभी|
दोनों को एक तराजू में न तोलिये ||
कम न तासीर होगी कभी जहर की |
बेकार है ,चाहे जितना शहद घोलिये||
दोस्ती की तो ,उम्मीद ही कुछ नहीं |
दुश्मनी की जुबां तो न बोलिये ||
तुम भी मजबूर थे ,हम भी मजबूर है |
तुम उधर रो लिए ,हम इधर रो लिए ||