यात्रा ईशा योग केन्द्र ,एक दिन ईशा योग केन्द्र में
सदगुरु से मिलने की इच्छा मुझे ईशा योग केंद्र खींच रही थी | हैदराबाद से कोयंबटूर हमने बस से 40 km की दूरी पर सदगुरु द्वारा स्थापित ईशा योग केंद्र है हमने कोयंबटूर से टैक्सी ली ओर कोयंबटूर की भीड़ वाली सड़को से गुजरते सुपारी और नारियल के वृक्षों को निहारते हम पश्चिम की ओर बढ़ते है, जहा से दक्षिण भारत का ग्रामीण इलाका शुरू होता है तभी आपको वैलयांगिरी की पहाड़ियां दिखाई देती है चारो ओर ख़ामोशी सी छाई रहती है | आख़िरकार टैक्सी में तमिल गानो और प्रकृति का लुफ्त उठाते हम अपनी मंज़िल पहुँच जाते है | सामने गेट के सर्प की भव्य आकृति देख हम सब भाव विभोर हो गए | वहाँ सुरक्षा कर्मी हमारे आने का मकसद पूछता है और हमसे सारी जानकारी लेकर वेलकम सेंटर की ओर भेज देता है वहा हमारा स्वागत अभिवादन नमस्कारम शब्द से होता है | हमने पहले से ही अपने रहने के लिए कॉटेज बुक करा रखा था | वह रुकने की व्यवस्था के लिए ३ तरह के कॉटेज है हमने नदी कॉटेज बुक कराया था | पहले वेलकम सेंटर में एक वाटरप्रूफ रिस्ट बैंड दिया गया ,जो की परिसर में रहते हमेशा पहनना होता है | एक टाइम टेबल दिया गया जिसमे ईशा सेंटर हो रहे कार्यक्रमों की समय का लेख था | वहाँ सुबह 5 :30 से कार्यक्रम शुरू हो जाता | फिर हमे बताया जाता है की यहाँ दो कुंड है सूर्य कुंड और चंद्र कुंड है | बताया गया की मंदिर में प्रवेश करने से पहले इन कुंड में स्नान करना अच्छा होता है | यह कुंड जमीन से ३५ ft निचे एक तालाब है जिसके पानी को ठोस किये गए पारे के लिंग से ऊर्जा वान बनाया गया है | इसमें स्नान करने के बाद अनकही मानसिक और शारीरिक ताजगी के साथ ग्रहण शीलता का भी एहसास होता है इसके बाद 7 :40 am में लिंग भैरवी की आरती में हम शामिल हुए वहा बहुत सारे विदेशी पूजा मैडिटेशन और ध्यान करते दिखाई देते है वहा की पूजा महिलाओ द्वारा संपन्न की जाती है |
![]() |
लिंग भैरवी |
वहा हमे नीम की पत्तियां और फूल दिए जाते है मंदिर के बाहर दस रूपए में पायसम भी दिया जाता है जो की बहुत स्वादिष्ट मंदिर का प्रसाद होता है |
JUST SITTING SILENT FOR A FEW MINUTES WITHIN THE SPHERE OF DHYANLINGA IS ENOUGH TO MAKE EVEN THOSE UNAWARRE OF MEDITATION EXPERIENCE A STATE OF DEEP MEDITATIVENESS
- SADGURU
अब हम मुख्य मंदिर की और बढ़ते है |मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर सर्वधर्म स्तम्भ है | इस स्तम्भ में सभी धर्मों के चिन्ह बने है | यह काफी आकर्षक और धार्मिक समभाव की प्रेरणा देता है | और अब हम ध्यानलिंग के आँगन में घुसते हैं , बगल की दीवारों पर दक्षिण भारतीयों संतो के जीवन की झांकियां मिलती है, वालंटियर ध्यानंलिंगा में लोगो को बैच के हिसाब से भेज रहे थे | मैंने सुन रखा था की ये गुम्बदाकार बडा हॉल बिना लोहे कंक्रीट का बना है |वास्तव में ईंट मिटटी क्ले चुना और कुछ हर्ब्स से मिलाकर बनाया गया है \ये ध्यान के लिए एकदम सटीक बनाया गया है|सामने उस गुम्बदाकार हॉल में १३ फुट ऊँचा ग्रेनाइट का गोलाकार स्तम्भ लिंग के रूप में में दिखाई देता है | जिसे देखने की जिज्ञासा थी जिसमे बारे में हमने सुना था की ये ध्यानलिंग सद्गुरु की ३ जन्मों का प्रयास है | इस ध्यानलिंग में सातों चक्रो को ऊर्जावान करके इसी में बाँध दिया गया है |
![]() |
| बैक व्यू ऑफ़ ध्यान लिंग |
![]() |
| सर्व धर्म स्तम्भ |
![]() |
| ध्यान लिंग |
इसकी स्याह काली सतह पर सात छल्ले करीने से जडे है |लिंग के आधार पर, सात कुंडलियों वाले पत्थर के विशाल सर्प की आकृति बनी हुई है| यहाँ दीवारों के बीच २७ आभा गुफाये है,इसमें बैठकर आप ध्यान कर सकते है | 9 . 55 से 10 . 40 का समय नास्ता/लंच का होता है | जो किसी भक्त द्वारा अन्नदान किया जाता है |
ध्यानलिंग से आगे निकल कर नंदी की विशाल प्रतिमा का दर्शन होता है | यह प्रतिमा 5 फुट की मेटल की बानी है जिसके अंदर हर्ब्स भरे गए है | यह स्याह काले रंग का है |
![]() |
| नंदी |
आप इसे नहीं छू सकते | उसके आगे एक सरोवर है जिसमे कमल और लिली के अनेक रंगो वाले फूल खिले हुए थे | फिर हम आगे बढे | जहा पुरुषो के स्नान लिए बना सूर्यकुंड बना है | उसमे आगे कुछ ईशा केंद्र से जुड़ी दुकाने थी , जिसमे दवाई ,शहद ,सीडी ,चाय बिक रहे है | क्योकि हमारे पास समय कम था, इस लिए कम समय में हमे सबकुछ देखना और समझना था | बाहर जाने के दूसरे गेट से हम बाहर आ गए ,वहाँ से कुछ ही दूर पर प्रसिद्ध आदियोगी की प्रतिमा थी | हमने बैलगाड़ी की सवारी ली और वहां पहुच गए |अद्वित्य ,अनुपम प्रतिमा देखकर हम रोमांचित हो गए | मेरे पास शब्द नहीं बयां करने को की आदियोगी की इस प्रतिमा को कैसे बखान करुँ | 112 फ़ीट ,4 इंच ऊँची 24. 9 मीटर चौड़ी और 44 . 9 मीटर लम्बी मूर्ति ,दूर से ही अपनी भब्यता का अहसास दिलाती है | यह दुनिया में भगवान शंकर की सबसे ऊँची प्रतिमा है | इस प्रतिमा को पूरी तरह से स्टील से बनाया गया है | इसका वजन ५०० टन है इसके अंदर तिल के बीज हल्दी पवित्र भस्म ,विभूति ,खास तरह के तेल ,रेत,अलग तरह की मिटटी भरी है |
![]() |
| आदि योगी |






