प्राणिक हीलिंग ,चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणाली
प्राणिक हीलिंग एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है,जिसके विषय में आज भी लोग अनजान हैं | प्राचीन काल से ही घर में माताएं अपने बच्चों के रोने पर नज़र उतारने का उपक्रम किया करती है,और कुछ देर में रोता बच्चा ठीक हो जाता है| इस तरह बच्चे का चुप होना कोई जादू या चमत्कार नहीं होता ,बल्कि इसमें भी विज्ञानं है ,|इसे समझने के लिए हमे अपने शरीर के बारे में थोड़ा विस्तार से समझना होगा ,| हमारे भौतिक शरीर के चारो ओर एक ऊर्जा या प्रकाश का शरीर होता है ,जिसे आभामंडल या औरा कहते है | यह हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारे साथ होता होता है सर्वप्रथम नकारात्मक विचार और बीमारियाँ इसी ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है | और बाद में हमारे भौतिक शरीर को अपनी गिरफ्त ले लेती है,जिससे हम बीमार ,या अवसाद में आ जाते हैं | हमारा ऊर्जा शरीर भौतिक शरीर को भेदकर 45इंच तक फैला रहता है ,|
प्राणिक हीलिंग द्वारा उपचार का श्रेय मास्टर चोआ कोक सुई को जाता है ,जिन्होंने आम धारणाओ को वैज्ञानिक आधार दिया ,वे चीनी मूल के फिलीपींस नागरिक थे ,और केमिकल इंजीनियर थे | आज ये विधा पूरे विश्व में प्रसिद्व है| उन्होंने बताया जिस तरह हमारे शरीर में नसें होती हैं और उसमे रक्त प्रवाहित होता है ,ठीक उसी तरह ऊर्जा शरीर में प्राणशक्ति प्रवाहित होती है ,प्राणशक्ति को ग्रहण करने हेतु चक्र होते है | हमारे शरीर में सात चक्र है | प्राणशक्ति के सुचारु प्रवाह द्वारा हम भौतिक शरीर में आने वाली बीमारियों को दूर भगा सकते है |
प्राणिक ऊर्जा के स्रोत 1 -सौर प्राणशक्ति 2 -वायु प्राण 3-भूमि प्राण
ये क्रमशः सूर्य से , वायु प्राण श्वसन क्रिया के माध्यम से फेफड़ो द्वारा ग्रहण की जाती है ,जबकि भू प्राण पैरो के तलवो से प्राप्त किया जाता है | उपचार के लिए प्राणशक्ति को दूसरे व्यक्ति में प्रक्षेपित किया जाता है | प्राणिक उपचारक जिसका जिसका आतंरिक आभामंडल 1से 3 मीटर बड़ा हो वह किसी भी बीमार व्यक्ति को आसानी से ठीक कर-सकता है | इस विधा में उपचारक दूर बैठे रोगी को अपनी सहायता पहुंचा सकता है ,अर्थात दूर से रोगी को पर्याप्त रूप से ठीक कर सकता है | इससे जटिल से जटिल बीमारिया ठीक हो सकती है|
प्राणिक हीलिंग के सिद्धांत 1-स्वआरोग्य प्राप्ति
2 - प्राण शक्ति बढ़ाना
प्रथम सिद्धांत में सामान्यतः शरीर में स्वयं उपचार की शक्ति है ,यदि कही कट जाए तो वो स्वतः ही ठीक हो जाता है | दूसरे सिद्धांत में प्रभावित अंगो या शरीर की उपचार क्रिया को प्राणशक्ति द्वारा बढ़ाया जाता है |
प्राणिक उपचार की आवश्यकता एक डॉक्टर शरीर में दिखाई देने वाले लक्षण को देखकर दवा देता है ,जबकि प्राणिक उपचारक रोग को मूल जड़ से ख़तम करता है | प्राणिक उपचार द्वारा सभी प्रकार के शारीरिक ,मानसिक और भावनात्मक रोगो का निदान किया जा सकता है | अंत में महात्मा गाँधी के कथन - सबसे अच्छा स्वर्णिम नियम यह है की हर चीज़ को कारण व अनुभव के प्रकाश में जांचे -परखें | इस ओर ध्यान न दें की वह कहाँ से आयी है या आती है |
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