Friday, February 5, 2021

नैमीशारण्य

हमारे  भारत में जब भी सत्यनारायण भगवान की कथा सुनाई जाती है ,तो शुरुवात यही से होती है _जब 80000 ऋषि मुनि शौनक ऋषि की अगुवाई में सूत जी से सामाजिक सुख,कष्ट मुक्ति,और पारलौकिक सिद्धि का मार्ग पूछते हैं,तो सूत जी ,भगवान विष्णु द्वारा नारद को बताए सत्यनारायण व्रत कथा का उत्तम उपाय बताते है।पंडित जी हर कथा में नैमिष क्षेत्र का वर्णन अवश्य करते हैं।


 एक ऐसी तपोभूमि को कलयुग के प्रभाव से मुक्त ,,जहां की भूमि ने  त्रेता ,द्वापर के नायकों का उद्धार किया।

वो धरती है उत्तरप्रदेश के सीतापुर जिले में बसा नैमिषारण्य तीर्थ।


 बहुत सुना ,बहुत पढ़ा इस तीर्थ के बारे में ,तीव्र इच्छा जाग्रत हुई,और इसी क्रम में मेरी सहेली जो झारखंड के रांची में रहती थी,उसका आगमन  लखनऊ हुआ।हमने नैमिषारण्य जाने का प्रोग्राम बना लिया।

हम बहुत खुश थे।


लखनऊ से   80 किलोमीटर की दूरी  यह तीर्थस्थल है।अपनी कार से करीब  1.30 घंटे का रास्ता । कार में गाना भी चल रहा था_ चल हंसा उस देश ,जहां तोरे पिया बसे।


गजब का उत्साह था,देवी पुराणों ,मार्कण्डेय पुराण में बताए  इस तीर्थ को देखने का।


हम सबसे पहले चक्रतीर्थ पहुंचे ।चक्रतीर्थ का ऐसा महामात्य है कि पावन भूमि की तलाश में जब सभी ऋषियों ने ब्रह्मा जी को भूमि बताने को कहा तो ब्रह्मा जी ने मनोमय चक्र छोड़ा,और कहा धरती पर जहां इसकी नेमी गिरे वहीं स्थान ,आप सबकी तपोस्थली होगी।


चक्रतीर्थ एक गोलाकार सरोवर है,कहा जाता है, यहां का पानी पाताल से आता है, यहां लोग स्नान कर परिक्रमा करते हैं।


हमलोगों ने  चक्रतीर्थ के आस पास बने मंदिरों के दर्शन किए।

फिर मुख्य रूप से यहां पूजे जाने वाली 

देवी_ मां ललिता देवी_ 

के दर्शन को गए।यहां का स्थापत्य देखने लायक है,कई कहानियां है , यहां देवी की बारे में ,कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के कहने पर देवी ने असुरों का संहार किया था।

एक मान्यता है कि इसी स्थान पर माता सती का हृदय गिरा था।


यही पंचप्रयाग नामक छोटा कुंड भी है,और इसी की निकट अक्षयवट भी।

यहां आकर मन भक्तिमय हो जाता है ,ऐसा लगता है बस यही माता को निहारते रहे।

नैमिष क्षेत्र में बहुत छोटे ,बड़े मंदिर हैं ,जिनमें सबका उल्लेख करना संभव नहीं हो पाएगा।

कुछ  विशेष स्थानों के  बारे में मैं आप पाठकों को संक्षिप्त जानकारी दे देती हूं।


पांडव किला _ इसमें पांच पांडव ,द्रौपदी और कृष्ण की भव्य मूर्ति विराजमान है।

यहां बलराम जी का भी आगमन हुआ था।


हनुमानगढ़ी

कहा जाता है कि जब हनुमान जी राम लक्ष्मण को अहिरावण का वध कर वापस लौटे थे ,तो इस स्थान पर विश्राम किया था।

उनकी प्रतिमा दक्षिणमुखी है।


यहां का अयप्पा मंदिर द्रविड़ शैली में बना आधुनिक मंदिर है ,इसका स्थापत्य मंत्र मुग्ध करने वाला है।वहां हजारों की संख्या में लोग हवन करते है।

इसी क्षेत्र में लव कुश ने रामचंद्र द्वारा किए अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को पकड़ा था।

यहां  व्यास गद्दी भी है।


उसी से कुछ दूर,_

दधीचि कुंड_ यही पर ऋषि दधीचि ने संसार हित मे अपने प्राण का त्याग किया था।


नैमिष क्षेत्र के कुछ दूर पर एक जगह कहलाती है _ हत्याहरण -

मान्यता है कि श्री राम को जब ब्रह्महत्या का पाप रावण के संहार के बाद लगा तो इसी स्थान पर स्नान कर वो पाप से मुक्त हुए थे।


बहुत कुछ है यहां देखने को ,हमारा मन तो यहां की शांति से प्रमुदित हो उठा।

अध्यात्मिक अन्वेषकों के लिए यह स्थान अनुकूल है।अगर आप प्रकृति प्रेमी और शांति चाहते है ,तो अवश्य घूमने का विचार बनाएं।

हमने अपनी यात्रा पूरी की ,और वापस घर की तरह चल पड़े।

आखिर लौट के हमे अपने असली घर ही तो जाना है,।











   

शापित पेंटिंग द क्रईंग ब्वाय

  सन् 1985,

 इटली के मशहूर पेंटर जीवोवनी ब्रागोलिन पेंटिंग बनाने बैठे थे।

 आज उनके दिमाग में एक रोते हुए बच्चे का चेहरा बार बार आ रहा था।उन्होंने उसे कैनवस पर हू बहू उतार दिया।

सच में यह पेंटिंग इतनी सुंदर बनी, ऐसा लग रहा था कि  अभी  जैसे सजीव हो उठेगी।

ब्रागोलिन इतने खुश थे कि, उन्होंने एक नहीं पूरी इसकी श्रृंखला ही बना दी। 50,000 पेंटिंग की प्रतियां बनाई गई। 

 

आशा के अनुरूप यह पेंटिंग बहुत मशहूर हो गई।

पेंटिंग के शौकीन इस पेंटिंग को बड़े शान से ऊंचे मूल्य दे ,अपने लीविंग रूम की शोभा बढ़ाने को खरीद कर ले जा रहे थे।


अचानक एक दिन शहर में हड़कंप मचा,अग्निशमन विभाग की दमकले घरों की तरफ भागी जा रही थी।

एक के बाद एक खबरे इसी तरह की आ रही थी...............।

 


क्या हो रहा था ये सब ,क्या ये सिर्फ हादसा सा था !!या और भी कुछ?


अखबारों की सुर्खियां बन गए थे ये हादसे।


जैसा कि हर हादसे के लिए जांच होती है ,इसके लिए जांच बैठाई गई।सभी घर वालों ,प्रत्यक्षदर्शियों,दमकल कर्मियों से पूछताछ हुई।


सभी ने एक स्वर में कहा ,हमे एक चीज़ ही हर वारदात में खटकी,,पूरे घर की वस्तुएं जल जाती ,सब कुछ राख हो जाता , सिवाए उस रोते हुए बच्चे की पेंटिंग को छोड़।


अमूमन उन्हीं सभी घरों में आग भी लगी थी ,जहां ये पेंटिंग लगी थी।सभी इससे डर गए,रातो रात मशहूर होने वाली पेंटिंग अब रातों रात सुर्खियों में आ गई ,अपनी मनहुसियत की वजह से।


लोगों ने हैलोवीन त्योहार के आते ,इस पेंटिंग को बोन फायर में झोंक दिया,और आश्चर्य हादसों में कमी आ गई।


तब से ये पेंटिंग द क्राइंग ब्वाय की ये पेंटिंग दुनिया की शापित पेंटिंग में शुमार हो गई।