Monday, May 14, 2018

देववृक्ष पारिजात


 हमारा देश रहस्यों एवं रोमांचों से भरा है | यह देश देवी देवताओ ,ऋषि ,मुनियो की तपोस्थली और लीलास्थली  रही  है | ऐतिहासिक एवं पौराणिक घटनाओ के प्रमाण यहाँ के कण कण में व्याप्त है | भारत भूमि पर स्वयं ईश्वर ने अपनी लीलाये की है ,और उसके साक्ष्य अयोध्या,मथुरा ,वृन्दावन सब जगहों पर  मौजूद है |

                   पारिजात,इसके बारे में भी पौराणिक कथाएँ है ,कहा जाता है की यह स्वर्ग से लाया वृक्ष है | उत्तरप्रदेश के बाराबंकी जिले में इस वृक्ष के अस्तित्व में होने का पता चला | इस वृक्ष के बारे में कहा जाता है की ,समुद्रमंथन से इसकी उत्पति हुई ,जिसे देवराज इंद्र स्वर्ग में ले गए थे,और कालान्तर में श्रीकृष्ण द्वारा उनकी पत्नी सत्यभामा के जिद के कारण पृथ्वी पर लाना पड़ा | मन में इस वृक्ष को देखने की उत्सुकता जाग्रत हुई ,और हम निकल पड़े इसे देखने |

             लखनऊ से इसकी दूरी करीब 70 किलोमीटर है | लखनऊ से रामनगर पहुंचकर हम दाहिनी ओर मोड़ से बद्दोसराय पहुँचते है ,और बद्दोसराय से 3 किलोमीटर की दूरी पर बहेल्या गांव है जहाँ यह वृक्ष है  | वहां पहुँचते स्थानीय ग्रामीण जो अपनी जीविका का स्रोत इसी वृक्ष की बनाये है घेर लेते है,कि पूजा की सामग्री ले लो,वहां पूजा की जायेगी , जबकि वहां कोई पूजा नहीं होती| यह एक संरक्षित वृक्ष है ,जिलाधिकारी बाराबंकी के अनुसार इस वृक्ष को हानि पहुँचाना दंडनीय अपराध है | वृक्ष के चारो ओर घेरा बनाया गया है |यह एक विशाल वृक्ष है ,इसके तने की मोटाई लगभग 10 मिलीमीटर है | यह अफ्रीकन वृक्ष अड़ेंसोनिआ डिजीटाटा से मिलता जुलता है | इसकी पत्तियां 3 या 5 की संख्या में होती है | मान्यता है कि अज्ञातवास के समय माता कुंती  की पूजा के लिए शिवलिंग की स्थापना की थी,जो की कुंतेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है| शिवलिंग पर पुष्प अर्पण हेतु अर्जुन ने यह वृक्ष स्वर्ग से लाकर अपने वाण से पाताल तक छिद्र कर इसे रोपित किया | इसका उल्लेख इस शिलालेख में मिलता है | 

इसके पुष्प का रंग सफ़ेद होता है ,जो की सूखने के बाद सुनहरे रंग का हो जाता है | आज भी कहा जाता है कि कुंतेश्वर महादेव में रोज सुबह एक पारिजात का पुष्प चढ़ा मिलता है | हमने इस वृक्ष के चारो ओर परिक्रमा की ,कहते है यहाँ जो भी किसी चीज़ की कामना करता है ,वह अवश्य पूरी होती है |  हमने वहां कई विवाहित जोड़ो जोड़ो को देखा ,जो वहां पारिजात के दर्शन को आये थे | स्थानीय लोग अपने बहुत सारे धार्मिक संस्कार यही करते है | 

               अगर इन मान्यताओं को ध्यान न भी दिया जाए ,तो भी इस जगह पर आकर मानसिक शांति का अहसास होता है | इस पावन स्थली का दर्शन हर किसी को जरूर करना चाहिए | ये जगहे पर्यटन ही नहीं जीवन में नयी ताज़गी भी देती है |

 

 


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