Thursday, May 23, 2019

चित्रकूट धाम की यात्रा

                      
चित्रकूट विंध्य पर्वत की तलहटी में बसा प्राचीन नगर है \रामायण के अनुसार भगवान राम ने  सीता और भाई लक्छ्मण संग  अपने वनवास काल के 11 वर्ष यहाँ व्यतीत किये थे।  पवित्र मन्दाकिनी यहाँ की जीवन धारा है.| इस पवित्र स्थली पर तुलसीदास ने अपने आराध्य श्री राम का दर्शन प्राप्त किया था|  चित्रकूट की महिमा का वेदो में भी उल्लेख है | चित्रकूट के  कण कण में श्री राम समाये है,ऐसी पवित्र नगरी का दर्शन कई कई जन्मो के पुण्य का फल होता है |                                                                                                 
चित्रकूट उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा है \ पवित्र सलिला मन्दाकिनी इनके बीच में बहती है, जो दोनों राज्यों को अलग करती  है |                            
आवागमन  
 उत्तरप्रदेश से रेल मार्ग से आने वालो  लिए निकटतम  स्टेशन कर्वी  है | प्रयागराज ,जबलपुर ,दिल्ली ,झाँसी ,आगरा ,मथुरा,आदि शहरों की रेलगाड़ियाँ चलती है |                                                                                   वायु मार्ग - चित्रकूट का नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो है | खजुराहो चित्रकूट से 185 किलोमीटर की दूरी पर है |     यहा उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के टूरिस्ट बंगले उचित मूल्य पर  उपलब्घ  है ,लेकिन पर्यटकों की भीड़ के कारण इसे पहले से बुक करना श्रेयस्कर है |  फिर आप यहाँ के दर्शनीय स्थलों का लुत्फ़ उठा सकते है ,बंगलो ले अलावा काफी होटल भी आपको क्रमशः सस्ते से महंगे दर के मिल जाएंगे |

दर्शनीय स्थल                                                                          

रामघाट                                                                                             

रामघाट यहाँ का महत्वपूर्ण घाट माना गया है,मान्यता है की प्रभु श्रीराम यहाँ स्नान करते थे ,यहाँ हमेशा  धार्मिक आयोजन होते रह्ते है ,यहाँ साधु ,सन्यासी काफी तादाद में दिखाई देते है| महाकवि तुलसीदास को हनुमान जी ने यही आकर तोते के रूप में प्रभु  राम के आने का संकेत दिया था,तत्पश्चात तुलसीदास जी ने श्री राम के दर्शन किये थे | शाम को यहाँ होने वाली आरती एक नवस्फूर्ति ,एवं भक्ति से मन को सराबोर कर देती है |  

जानकी कुंड  

 रामघाट से 2 किलोमीटर की दुरी पर जानकी कुंड स्थित है | यहाँ माता जानकी स्नान करती थी | इसके निकट ही रघुवीर मंदिर और संकटमोचन मंदिर है |   

  स्फटिक शिला -

                                                                                                                                          जानकी  कुंड  की कुछ दूरी पर  ही स्फटिक शिला स्थित है | कहा जाता है इसी शिला पर  श्री राम  और सीता माता बैठ कर यहाँ के रमणीय वातावरण का आनंद उठाया करते थे | इसी शिला पर  माता सीता के पदचिह्न  अंकित है,यहाँ सीता जी की सुंदरता पर रीझ कर   इंद्र पुत्र जयंत ने काक के रूप मेंउनके चरण छूने     का दुःसाहस  किया था |

                                                                                                                                                      कामदगिरि मंदिर 


कामदगिरि मंदिर ,कामदगिरि पर्वत पर स्थित  है | यहाँ 5 किलोमीटर की परिक्रमा की जाती है,कहते है इससे मनोकामना पूर्ण होती है | परिक्रमा मार्ग पर बहुत मंदिर बसे है | इसी मार्ग पर भरत कूप है,जिसमे सभी तीर्थो का जल भरत द्वारा श्री राम के राज्याभिषेक के लिए लाया गया था,डाला हुआ है |
               भरत मिलाप मंदिर  परिक्रमा मार्ग पर स्थित  है |परिक्रमा मार्ग पर अनेकोनेक मंदिर बने है|


  सती  अनसुइया आश्रम

                                                                                                                              
पवित्र मन्दाकिनी और घने जंगलो के बीच बसा यह आश्रम महर्षि अत्रि और माता अनसूइया  की तपस्थली है ,कहते है माता अनुसूइया ने पवित्र मन्दाकिनी को अपने तपोबल से प्रगट किया था | उनका उल्लेख संसार की सती नारियो में अग्रणी है ,उन्होंने परीक्षा लेने आये त्रिदेव को अपने सतीत्व बल से बालक बना कर वर्षो अपने गोद  में खिलाया था | यही माता सीता को उन्होंने पतिधर्म के बारे में विस्तार से उपदेश दिया था |
 प्रकृति की गोद  में बसा यह स्थान अत्यंत मनोरम है,शांति की तलाश में आए  प्रत्येक जन के लिए यह स्थान वरदान से कम नहीं ,|

  हनुमान धारा 


  100मीटर ऊँची पहाड़ी पैर बसा है हनुमान धारा ,उपर  चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ बनायीं गयी है चढ़ने में असमर्थ लोगो के लिए टैक्सियां भी उपलब्ध है जो घने जंगलो के बीच से गुजरती मनोहारिणी वातावरण का लुत्फ़ उठाते लोगो को ऊपर तक पहुंचाती है| ऊपर  से सारे  चित्रकूट का मनोरम दृश्य दिखाई देता है | यहाँ हनुमान जी की मूर्ति के पीछे से जलधारा निकलती है और एक तालाब में गिरती है ,लोगो का कहना है की हनुमान जी लंका जलाने की वजह से उनके शरीर की तपन नहीं गयी थी ,उन्होंने लंका विजय के बाद श्री राम से आग्रह किया था की ,प्रभु उनकी तपन दूर करे ,तब श्री राम ने अपने वाण द्वारा  पहाड़ से जलधारा प्रगट किया ,और हनुमान जी दैहिक ताप से मुक्त हुए |

   गुप्त गोदावरी


 यह स्थान शहर से 18 किलोमीटर की दूरी पर है | विंध्य पर्वत के अंदर  गुफाएँ हैं , एक गर्म और दूसरी ठंढी |  बड़ी गुफा में राम दरबार बना है | अपने वनवास काल  राम और लक्छ्मण यहीं समस्याएं  करते थे| दूसरी गुफा संकरी से और संकरी है ,इस गुफा का आकार धनुषाकार है | इसमें प्रवेश करना बहुत कठिन है ,लेकिन ईश्वर के नाम के साथ इसमें लोग प्रवेश कर जाते है थोड़ी दूर पथरीली चट्टानों और पानी की कलकल धारा में चलने के बाद गुफा और भी संकरी होकर बंद होती है वही से पानी आता है ,कुछ दूर बहने के बाद यह धारा पीपल के वृक्छ के पास आकर लुप्त हो जाती है ,इसलिए इसका नाम गुप्त गोदावरी पड़ा |







        त्रेता युग के नायक को इस नगरी ने अपनी सुंदरता और  निर्मलता में  मोह कर पृथ्वी पर कुछ समय यहाँ भी अपनी लीला करने का आमंत्रण दिया | धन्य है ये नगरी,यहाँ प्रत्येक अमावस्या मेला लगता है ,श्रद्धालु दूर दूर से यहाँ आते है। चित्रकूट का विकास राजा हर्षवर्धन ने किया था |              
      यही रामघाट के सामने विजावर रियासत की रानी के द्वारा बनवाया विजावर मंदिर है। यही  रामघाट पर तीन नदियों का संगम है ,क्रमशः ये नदियाँ हैं ,पयस्विनी ,सावित्री ,एवं मन्दाकिनी ,यही श्री राम ने पितृतर्पण किया था।
         चित्रकूट अपने में रहस्य ,रोमांच और अध्यात्म समेटे है।  इसका गुणगान करते वेद ,पुराण ,देवता नहीं अघाते ,इस तपोभूमि को शत शत नमन।



तीर्थ ,जहाँ जाकर हमारी पवित्र भावनाएँ जाग्रत होती है ,जहाँ; मैं; कहीं विलीन हो जाता है ,और फिर ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव जाग्रत होता है| चित्रकूट की भूमि इतनी पावन है जहाँ हर पल ऐसा लगता है जैसे ईश्वर अपने रामवतार में आज भी उन पर्वतो उन जंगलों में सीता माता और अनुज भ्राता संग विहार कर रहे | चित्रकूट भगवदीय तीर्थ है जहाँ भगवन के चरण पड़े वह भूमि दिव्य है | ऐसे तीर्थ की यात्रा कर मनुष्य का जीवन धन्य है |                                                                                                
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